'कोहरे और धूप की प्यारी सी मोहब्बत'
कभी कोहरे ने धूप को अपने में समेट लिया.,
कभी कोहरा पिघल गया धूप के आगोश में !
कभी दोनों चलते रहे संग-संग.,
कभी दोनों ने बाँट लिया, वक्त सुबह-ओ- शाम का !
बस यूँ ही दिन ढला और शाम हो गई.,
सो गया दिन कोहरे के आगोश में !
मधु अरोरा
२९/१२/१५