कृपया अपने बहुमूल्य विचार अवश्य व्यक्त करें
Friday, June 3, 2011
दिलों की जंग
आंसुओ कि क्या बिसात थी
वो कुछ कह पाते
खामोश बह गये
दिलो की जंग मे
दर्द इतना गहरा था
की हम कुछ भी ना कह पाये
चुप चाप तकिया ले
सोने का बहाना कर लिया
५/३/२०११
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