कृपया अपने बहुमूल्य विचार अवश्य व्यक्त करें
Tuesday, December 4, 2012
अपना अपना दर्द
कोई टूट कर चाहता है
कोई टूट कर बिखर जाता है
अपना अपना दर्द है
अपना अपना तरीका
कोई सिमट जाता है
कोई बिखर जाता है
©
मधु अरोरा
2/12/12
Thursday, October 4, 2012
मुझे एहसास रहने दो...
न पोंछो आंसू मेरे
न मेरा दर्द बांटो तुम
मैं जिंदा हूँ अभी
मुझे एहसास रहने दो
आँखों में हलचल है
अभी कुछ अश्क बाकी हैं
सीने में धड़कन है
अभी कुछ साँस बाकी है
मुमकिन है तेरे दिल में
कोई अरमान बाकी हो
कोई खेल अधूरा हो
कोई हिसाब बाकी हो
कुछ काम बाकी हैं
कुछ फ़र्ज़ बाकी हैं
धरती का सीना है छोटा
कफ़न से बदन की दूरी बाकी है
जाने भी दो छोड़ो
अब ये बात रहने दो
मैं जिंदा हूँ अभी
मुझे एहसास रहने दो
© मधु अरोरा
३०/९/२०१२
Sunday, July 22, 2012
रोशन हों तेरी रातें.....
रोशन हों तेरी रातें
खुशियों का बसेरा हो
फिर चाहे जो भी
हाल मेरा हो
जलती रहे शमा
या दिल में अँधेरा हो
बंद हों जब आँखें
लबों पर नाम तेरा हो
बदन का कोई घाव
भरे या न भरे
लबों पर हो मुस्कान
सीने में दर्द गहरा हो
मुझे मिलें सारे रंज
तेरा मुस्कानों का सवेरा हो
तुझे हकीकत में वो मिले
जो सपने में तेरा हो
०१/०३/२००९
© मधु अरोरा
Thursday, July 19, 2012
अगर तुम मेरी ज़िन्दगी में न आये होते.....
अगर तुम मेरी ज़िन्दगी में न आये होते
तो मैंने भी इतने ख्वाब न सजाये होते
रह लेती मै भी ज़िन्दगी भर तन्हा
अगर तुम न यूँ मुस्कुराये होते
मेरी भी रातों में
रोज़
चाँद चमकता
आँखें खोलते ही रोज़ जो तुम नज़र आये होते
यूँ तन्हा न होता ज़िन्दगी का सफ़र
इतने ठिकाने जो तुमने अपने न बनाये होते
१४/७/२०१२
मधु अरोरा
Tuesday, June 26, 2012
मै फिर अवतरित हो जाऊँगी
मै फिर अवतरित हो जाऊँगी
एक नया रंग
नया रूप
नया जीवन लिए
जितनी बार भी तुम
मुझे, अपने अहम् की
धूल में रोंदोगे
तोड़ोगे और मिटाओगे
बीज बनकर
उगूंगी धरा से
वृक्ष बन के
बढ़ऊँगी और लहराऊँगी
छाया दूँगी
फल दूँगी
कर दूँगी सब
तुम्हें समर्पण
तुम्हारे लिए थी
तुम्हारे लिए हूँ
तुम्हारे लिए रहूंगी
ये सच तुम जान जाओगे
२६/६/२०१२
मधु अरोरा
Friday, June 15, 2012
तू और मैं
तू पानी
मैं प्यास ज़मीं की
बूँद बूँद मुझे
तुझमे समां जाने दे
मैं जेठ की तपती धूप
तू छाँव दरख्तों की
मुझको तुझमे
पनाह लेने दे
तू गगन
मैं बादल तेरा
अपने रूप में मुझको
ढल जाने दे
तू चाँद
मैं चांदनी तेरी
मुझे तुझसे
निखर जाने दे
तू जिस्म
मैं रूह तेरी
मुझको तुझ से
मिल जाने दे
मधु अरोरा
१५/६/१२
Saturday, June 2, 2012
अभी ना आओ
अभी ना आओ के अभी साँस बाकी है
जीने का अभी अरमान बाकी है
ठहरो ,
अभी दर्द कहाँ है बड़ा हुआ
अभी बहुत काम है पड़ा हुआ
रुको,
अभी कुछ और इंतज़ार करो
अभी ना मुझसे प्यार करो
सुनो,
तब आना, जब मैं मिटटी में मिल जाऊं
धरती का कफ़न ओढ़ के सो जाऊं
२/६/२०१२
मधु अरोरा
Friday, May 25, 2012
तुम्हारा नाम
तमाम रात जाग
कर
पलकों की किनोरों से
चाँद तारों पर
तुम्हारा नाम लिखा
सुबह हुई
धूप खिली
देखा तो सब धुल गया
२५/५/२०१२
मधु अरोरा
Monday, May 21, 2012
तार तार हो गया
खुद से
भी
खुदा से भी
कहीं अहम् था वो रिश्ता
जब धुंधला और दिशाहीन हो गया
साथी बदलना जब
आधुनिकता का नाम हो गया
मोहब्बत ही जब
एक देह
बाज़ार हो गया
तो खुद मुझसे ही
मेरा
खुद का
मेरा रिश्ता
तार तार हो गया
२१/५/२०१२
मधु अरोरा
Saturday, March 31, 2012
इक रोज़
गुजरते वक़्त के साथ मैं
भी
इक रोज़ चली ही जाउंगी
सुनो, मेरे जाने के बाद
किसे दिखाओगे, वो तस्वीरें
जिन्हें संभाले रखे हो
अक्सर महरूम हूँ
मैं जिस आवाज़ से
किसे
सुनाओगे
, वो आवाज़
जिसे चुप करवाते हो
अपनी ख़ामोशी से
रात भर जागती हैं
जो दो आँखें
तुम्हारे इंतज़ार में
बंद हो जाएँगी, वो कभी
फिर किसे इंतज़ार करवाओगे
२४/२/२०१२
मधु अरोरा
Friday, March 16, 2012
ख्वाबों की चादर
हर रात
तुम्हारे ख्यालों के
सतरंगी धागों से
ख्वाबों की चादर
बुनती हूँ
और फिर
उसी चादर को ओढ़ के
सो जाती हूँ
तुम्हारे ही खवाबों में
खो जाती हूँ
सुबह होते ही
सब खवाब
छू हो जाते हैं
मेरे ख्वाबों की चादर
फिर तार - तार हो जाती है
और फिर दिन भर
मैं उन्हें फिर से
बटोरती हूँ
और रात में जब
सब सो जाते हैं
मैं फिर से बुनने लगती हूँ
और फिर से ख्वाब सजाती हूँ
कुछ मेरे लिए
कुछ तुम्हारे लिए
१५/०३/२०१२
मधु अरोरा
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