Wednesday, November 30, 2011

कभी




कभी सुबह में 
कभी रात में


कभी गर्मी में
कभी बरसात में


कभी सच में
कभी झूठ में


कभी दूर से
कभी पास से


कभी आस से
कभी विश्वास से


कभी दिल से
कभी रस्म-ओ-रिवाज़ से


मेरे हमसफ़र
मेरे हमनफस


कभी दिल-ओ-हाल मेरा
तू पूछता तो सही


मै जागती हूँ
या सोती हूँ


या तेरी याद में
दिन भर रोती हूँ


जिंदा हूँ साँस लेती हूँ
या कब्र में आराम से सोती हूँ 
२९/११/२०११ 
मधु अरोरा  

Sunday, November 27, 2011

अक्सर भूल जाते हैं



तुम्हारी याद से दिन निकलता है
तुम्हारी याद पर ख़त्म होता है
दिन का हर एक लम्हा
तुम्हारी याद में रोता है

तुम्हें याद कर के
सोचते हैं हम दिन भर
तुम्हें आज ये कहना है
तुम्हें आज वो कहना है

मगर जब सामने आते हो
और आँखों से मुस्कुराते हो
तुम्हें क्या क्या कहना है
हम सब कुछ भूल जाते हैं

न खुद का होश होता है
न कोई ख्वाब सोता है
फिर भी कहते हो तुम अक्सर
तुम्हें हम याद नहीं करते

तुम्हें कैसे समझाएं जानम 
तुम्हारी यादों से हमे फुर्सत नहीं मिलती
मगर आती है ऐसी याद तुम्हारी
हम खुद को अक्सर भूल जाते हैं
२७/११/२०११ 
मधु अरोरा 

Tuesday, November 22, 2011

दिल का दरवाज़ा




जब तेरे कदम कहीं और न डगमगाएं
जब तेरे दिल से बाकी सब उतर जाएँ

जब तुझे अचानक मेरी याद आ जाये
तेरे सीने का दिल मेरे लिए तड़प जाये

कोई रंजिश न दिल में रह जाये
जब सिर्फ मेरा बनने को जी चाहे

तब बेख़ौफ़ मेरी बाँहों में चले आना
दिल का दरवाज़ा खुला है सिर्फ तेरे लिए 
२३/११/२०११
मधु अरोरा