Saturday, December 31, 2011

नया साल

नया साल बदलने से अगर
और भी कुछ बदल जाता
तारीखें बदलने से अगर
इन्सान बदल जाता
बद्ल जाता वो सब कुछ
जो मानवता के लिए ठीक नहीं है
वो मानव हीनता बदल जाती
वो इन्सान बदल जाता
वो ह्रदय बदल जाता
वो इन्सान बदल जाता
वो नफरत बदल जाती
वो हृदयों की दूरियां
कम हो जाती
वो रिश्ते बदल जाते
जो निभाने मुश्किल हैं
वो संवेदनाएं बदल जाती
वो प्रण बदल जाता
बदल जाती सत्ता देश की
तो प्रगति बदल जाती
तो समझते नया साल ही नहीं
बहुत कुछ बदल गया
सिर्फ तारीखें बदलने से
कुछ नहीं बदल जाता

वो ही है सूरज
और वो ही है दिन
वो ही संवेदनहीन इंसान
वो ही टूटे रिश्तों का बोझ
वो ही दुःख
वो ही समस्याएँ
निरर्थक पीने नाचने से 
दुःख नहीं बदल जाता
सिर्फ बधाई देने से
मन नहीं  बदल जाता
सिर्फ नया साल आने से
कुछ नहीं बदल जाता
१/१/२०१२
मधु अरोरा 

Wednesday, December 21, 2011

वो

वो साथ हो तो मुझे नींद नहीं आती
वो दूर हो तो ये गम के 
जिसकी याद में जागती हूँ मै
वो मेरे बगैर सो गया होगा 
२१/१२/२०११
मधु अरोरा 

Tuesday, December 20, 2011

कल रात



कल रात भी चाँद आया था जमीं पर
अनंत खुशियों की रौशनी लेकर,
थी चांदनी कहीं पर
पर मेरे आँगन में सिर्फ अँधेरा था
२०/१२/२०११
मधु अरोरा 

Friday, December 16, 2011

सच है


जानती हूँ के तुमने मुझे
कभी पुकारा ही नहीं
फिर भी ये सच है
के रह रह के तुम बुलाते हो मुझे

है यकीं मुझे भी
के मैं तुमसे कभी मिली ही नहीं
फिर भी ये सच है
के मैं तुमसे जुदा भी नहीं

ये पागलपन है
या है दीवानापन
हुए हैं वो ही ख्वाब सच
जो हमने कभी बुने ही नहीं

कहने को है दूरी बहुत
या है मज़बूरी बहुत
सच है दिल से कभी
हम दूर हुए ही नहीं 
१५/१२/२०११ 
मधु अरोरा 

तुम

मेरा ख्वाब मेरा ख्याल तुम
मेरी सोच मेरा सवाल तुम

मेरा दिन मेरी रात तुम
आफ़ताब( sun) तुम 
माहताब (moon) तुम 

आगाज़ तुम, अंजाम तुम
मेरी जीत तुम मेरी हार तुम

मेरे अश्क मेरी मुस्कान तुम
मेरी भूख मेरी प्यास तुम

मेरे लफ्ज़ मेरा कलाम तुम 
हर लम्हा दिल के पास तुम

मेरी रूह मेरी जान तुम
मेरे जीने का अंदाज़ तुम

हर बात का एहसास तुम
मेरे लिए बहुत खास तुम 

हर तरफ बस तुम ही तुम
फिर भी तुम,  न जाने कहाँ गुम
१४/११/२०११
मधु अरोरा 

Wednesday, November 30, 2011

कभी




कभी सुबह में 
कभी रात में


कभी गर्मी में
कभी बरसात में


कभी सच में
कभी झूठ में


कभी दूर से
कभी पास से


कभी आस से
कभी विश्वास से


कभी दिल से
कभी रस्म-ओ-रिवाज़ से


मेरे हमसफ़र
मेरे हमनफस


कभी दिल-ओ-हाल मेरा
तू पूछता तो सही


मै जागती हूँ
या सोती हूँ


या तेरी याद में
दिन भर रोती हूँ


जिंदा हूँ साँस लेती हूँ
या कब्र में आराम से सोती हूँ 
२९/११/२०११ 
मधु अरोरा  

Sunday, November 27, 2011

अक्सर भूल जाते हैं



तुम्हारी याद से दिन निकलता है
तुम्हारी याद पर ख़त्म होता है
दिन का हर एक लम्हा
तुम्हारी याद में रोता है

तुम्हें याद कर के
सोचते हैं हम दिन भर
तुम्हें आज ये कहना है
तुम्हें आज वो कहना है

मगर जब सामने आते हो
और आँखों से मुस्कुराते हो
तुम्हें क्या क्या कहना है
हम सब कुछ भूल जाते हैं

न खुद का होश होता है
न कोई ख्वाब सोता है
फिर भी कहते हो तुम अक्सर
तुम्हें हम याद नहीं करते

तुम्हें कैसे समझाएं जानम 
तुम्हारी यादों से हमे फुर्सत नहीं मिलती
मगर आती है ऐसी याद तुम्हारी
हम खुद को अक्सर भूल जाते हैं
२७/११/२०११ 
मधु अरोरा 

Tuesday, November 22, 2011

दिल का दरवाज़ा




जब तेरे कदम कहीं और न डगमगाएं
जब तेरे दिल से बाकी सब उतर जाएँ

जब तुझे अचानक मेरी याद आ जाये
तेरे सीने का दिल मेरे लिए तड़प जाये

कोई रंजिश न दिल में रह जाये
जब सिर्फ मेरा बनने को जी चाहे

तब बेख़ौफ़ मेरी बाँहों में चले आना
दिल का दरवाज़ा खुला है सिर्फ तेरे लिए 
२३/११/२०११
मधु अरोरा

Sunday, September 18, 2011

चाहत नाम है मेरा

चाहत नाम है मेरा
ख्वाइशों के मकां में रहती हूँ

सबकी ख्वाइशों में
जिंदा रहती हूँ
कभी भूल से भी अपनी
ख्वाइशों का ज़िक्र न करती हूँ
चाहत नाम है मेरा .........

हरेक की हर ख्वाइश का 
ख्याल रखती हूँ
कोई मेरा ख्याल न करे 
तो कुछ न कहती हूँ
चाहत नाम है मेरा .....

किसी को ख़ुशी मिले
तो मै खुश हो लेती हूँ
किसी को दुःख हो
तो मैं रो लेती हूँ
चाहत नाम है मेरा .....

न कोई गिला शिकवा 
न शिकायत करती हूँ
चाहे कुछ भी हो
चुपचाप सह लेती हूँ
चाहत नाम है मेरा .....

लोग कहते हैं ये मनमानी है
पर मैंने सब के काम आने की ठानी है
सब को चाहना ही नियति है मेरी
पर बदले में कुछ न लेती हूँ
चाहत नाम है मेरा ......
१८/०९/२०११
मधु अरोरा

Thursday, September 15, 2011

तो कैसा हो

जानती हूँ
चोरी करना बुरा है
फिर भी

जी चाहता है
तुम्हारे वक़्त से 
मैं कुछ लम्हे चुरा लूं
तो कैसा हो

तुम मुस्कुराते कम हो
तुम्हारे हसीं लबों से
कुछ मुस्काने चुरा लूं
तो कैसा हो

तुम्हारी नज़र में
हर वक़्त कोई रहता है
मैं भी कुछ नज़रे चुरा लूं
तो कैसा हो

तुम सोते बहुत हो
तुम्हारी उनींदी आँखों से
मैं कुछ नीदें चुरा लूं
तो कैसा हो

यूं तुम बेवजह 
रूठते बहुत हो
मै तुम्हारा रूठना चुरा लूं
तो कैसा हो

तुम प्यारे बहुत हो
तुम्हारा कुछ प्यार
मैं भी चुरा लूं
तो कैसा हो

तुम सोचते बहुत हो
तुम्हारे कुछ ख्याल
मैं भी चुरा लूं
तो कैसा ही

तुम बोलते बहुत हो
तुम्हारे बोले हुए
चंद अल्फाज़ मैं भी चुरा लूं
तो कैसा हो

१५/९/२०११
मधु अरोरा

Monday, September 12, 2011

तुम्हारी तस्वीर

जानती हूँ 
तस्वीरें कभी बोलती नहीं
फिर भी
जी चाहता है
इन्ही तस्वीरों से
कभी निकल आओ तुम
हँसते
बोलते
मुस्कुराते
गुनगुनाते हुए
बैठी हूँ
तुम्हारे इसी इंतज़ार में मैं
१२/०७/२०११ 

Saturday, September 10, 2011

मैं और तुम




मैंने कुछ कहा नहीं
मैंने कुछ लिखा नहीं
तूने कुछ पढ़ा नहीं
फिर भी सब समझ लिया
मेरा दर्द मेरी आँखों से
बिना पूछे ही बह गया
ये बह के मेरी आँखों से
तेरे आँचल में सिमट गया
फिर आज ऐसा क्या लिखूं
के फिर से तू समझ ले
मेरे दिल के दर्द को
अपने आँचल में पनाह दे

१०/०९/२०११ 

Friday, June 3, 2011

दिलों की जंग



आंसुओ कि क्या बिसात थी
वो कुछ कह पाते
खामोश बह गये
दिलो की जंग मे

दर्द इतना गहरा था
की हम कुछ भी ना कह पाये
चुप चाप तकिया ले
सोने का बहाना कर लिया
५/३/२०११