Thursday, January 1, 2015

कोहरे और धूप की प्यारी सी मोहब्बत


























'कोहरे और धूप की प्यारी सी मोहब्बत'

कभी कोहरे ने धूप को अपने में समेट लिया.,
कभी कोहरा पिघल गया धूप के आगोश में !

कभी दोनों चलते रहे संग-संग.,
कभी दोनों ने बाँट लिया, वक्त सुबह-ओ- शाम का !

बस यूँ ही दिन ढला और शाम हो गई.,
सो गया दिन कोहरे के आगोश में !

मधु अरोरा
२९/१२/१५