Wednesday, July 3, 2013

एक कविता इंदोरियन के नाम

















कल मैंने
आसमान की तरफ मुंह करके
ये कहा
ऐ खुदा तेरे रहते
तेरे बंदों को
पीने का पानी भी मयय्सर नहीं
और फिर
बादल इस तरह बरसे
कि सारा आसमान खाली हो गया
और सब घरों में
पानी भर गया

© मधु अरोरा
४/७/२०१३

Tuesday, July 2, 2013

अजनबी शहर, अजनबी लोग


















ये कहाँ आ गए हम 
एक अजनबी से शहर में 

अन्जाना शहर
अन्जाने लोग 

पहचाने से चेहरे 
पर बेगाने लोग 

हमदर्द बनकर 
दिल दुखते लोग 

दर्द देकर 
मुस्कुराते लोग 

रिश्तों में इतने फासले 
फासलों के दरम्यान भी हैं द्रूरियां 

सबके चेहरों पर हैं मुखोटे कई 
रोज़ दिखते हैं रंग कई 

जाने कैसे कैसे आजमाते लोग 
हर पल में बदल जाते लोग 

ये कहाँ आ गए हम 
एक अजनबी से शहर मे…. 

© मधु अरोरा 
३०/ ०७/ २०१३