Thursday, June 19, 2008

तुम्हारी तलाश थी


जी रही थी मैं

कोई मंजिल ना पास थी

धड़क रहा था दिल

कोई वजह ना ख़ास थी

महफिल में रह के भी

मेरी रूह उदास थी

थे दूर कहीं तुम

नज़र को तुम्हारी तलाश थी

हर लम्हा मुझे

तुम्हारी तलाश थी

१८/२/२००८

Saturday, June 7, 2008

सिर्फ़ मैं





जी चाहता है



खो जाऊँ



इन्ही अंधेरों में



जिनसे निकली थी मैं



रौशनी की



तस्वीर बनकर



गम जाऊँ



गुमनामी के



आवारा बादलों के संग



लिपट जाऊँ



अंधेरों की



हमनशीं बनकर



भूल जाऊँ



उजालों को



उजड़ी जागीर समझकर



कोई रात



न सवेरा हो



कोई मंजिल



न चेहरा हो



न घर



न डेरा हो


न धुप
न चाँदनी हो



एक गुमनामी का



तपता रेगिस्तान



और सिर्फ़ मैं



मेरे लिए



२७/२/२००८

Thursday, June 5, 2008

तू नही तो क्या हूँ मैं


तू नही
तो क्या हूँ मैं

एक ढलता सा दिन
एक अँधेरा हूँ मैं

एक ज़रा
एक कतरा हूँ मैं

थम गया सा
एक लम्हा हूँ में

एक शून्य
एक हाशिया हूँ में

अंत में लगा
एक प्रश्नचिन्ह हूँ मैं
१०/३/२००८

Wednesday, June 4, 2008

अभी जिंदा हूँ


ना कोई खुशी है
ना आस बाकी
न कोई हमसफ़र है
न कोई साथी
उड़ने को बेचैन
घायल
एक परिंदा हूँ
बची है साँस
अभी जिंदा हूँ

बहुत कमजोर है
सांसों की डोर
कल ढूँढओगे
गर उड़ जाऊं
किसी ओर
न जाने कैसा
अजब बाशिंदा हूँ
बची है साँस
अभी जिंदा हूँ
३१/५/२००८