Wednesday, April 29, 2009

क्या चाहते हैं



आपने कहा
हम आते हैं
पर आप
आते आते
रह जाते हैं
कभी कहा
हम बुलाते हैं
पर हमे
बुलाते बुलाते
रह जाते हैं
न जाने आप
क्या चाहते हैं
हमारे सपनो की तरह
आप भी हमे
हर रोज़
धोखा दे जाते हैं
१५/०४/०९

Monday, April 13, 2009

तुम्हारी याद









बसंती हवा सी
अल्हड
बे खौफ
मदमस्त
चली आती है
याद तुम्हारी
महका जाती है
सांसें हमारी
बहुत मुश्किल है
समझ पाना
कौन ज़्यादा
महकता है
तुम्हारे लाये
रजनीगंधा के फूल
या फ़िर
याद तुम्हारी
१३/०४/०९