कृपया अपने बहुमूल्य विचार अवश्य व्यक्त करें
Thursday, February 26, 2009
फिर आया फागुन
फिर आया फागुन
फिर आया फागुन
रंगों की बहार लाया
गुब्बारे पिचकारी
गुझिया चकली
प्रेम प्यार
बढाने
आया
बेला जूही पलाश महके
अंग अंग में मस्ती छलके
अब तुम भी आ जाओ
मोहे पीली चुनरी दिला जाओ
फिर आया फागुन
फिर आया फागुन
तुम
भी आ जाओ
२०/०२/०९
Tuesday, February 24, 2009
भुला न सकोगे
भुला न सकोगे मुझे चाह कर तुम
मैं अक्सर तुम्हें याद आती रहूंगी
कभी ख्वाब बनकर कभी चाँद बनकर
मैं रातें तुम्हारी सजाती रहूंगी
पकड़ न सकोगे मुझे चाह कर तुम
मैं खुशबु सी फिजा में बिखर जाती रहूँगी
कभी साँस बनकर कभी हवा बनकर
मैं सांसें तुम्हारी सजाती रहूंगी
पा न सकोगे मुझे जीवन में तुम
मैं बार बार तुम्हें सताती रहूंगी
कभी दर्द बनकर कभी खुशी बनकर
मैं जीवन तुम्हारा महकाती रहूंगी
१०/०२/२००९
Thursday, February 12, 2009
याद
पानी का कतरा
आँख से
गिरे न गिरे
कोई आप को
याद करे न करे
हम वो शख्स हैं
जो आपको याद करेंगे
मरते दम तक भी
मौन भाषा
तुम्हें देख कर
अक्सर सोचा मैंने
तुम्हें देखा है कहीं
ख्वाब में
ख्याल में
या हकीकत में कहीं
या पिछले जनम कहीं
तुम्हारा चेहरा
कुछ पहचाना सा लगा
शब्द ढूंढती रही
पढने को
तुम्हारी आँखों की
मौन भाषा
१०/१२/२००८
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