Sunday, September 18, 2011

चाहत नाम है मेरा

चाहत नाम है मेरा
ख्वाइशों के मकां में रहती हूँ

सबकी ख्वाइशों में
जिंदा रहती हूँ
कभी भूल से भी अपनी
ख्वाइशों का ज़िक्र न करती हूँ
चाहत नाम है मेरा .........

हरेक की हर ख्वाइश का 
ख्याल रखती हूँ
कोई मेरा ख्याल न करे 
तो कुछ न कहती हूँ
चाहत नाम है मेरा .....

किसी को ख़ुशी मिले
तो मै खुश हो लेती हूँ
किसी को दुःख हो
तो मैं रो लेती हूँ
चाहत नाम है मेरा .....

न कोई गिला शिकवा 
न शिकायत करती हूँ
चाहे कुछ भी हो
चुपचाप सह लेती हूँ
चाहत नाम है मेरा .....

लोग कहते हैं ये मनमानी है
पर मैंने सब के काम आने की ठानी है
सब को चाहना ही नियति है मेरी
पर बदले में कुछ न लेती हूँ
चाहत नाम है मेरा ......
१८/०९/२०११
मधु अरोरा

Thursday, September 15, 2011

तो कैसा हो

जानती हूँ
चोरी करना बुरा है
फिर भी

जी चाहता है
तुम्हारे वक़्त से 
मैं कुछ लम्हे चुरा लूं
तो कैसा हो

तुम मुस्कुराते कम हो
तुम्हारे हसीं लबों से
कुछ मुस्काने चुरा लूं
तो कैसा हो

तुम्हारी नज़र में
हर वक़्त कोई रहता है
मैं भी कुछ नज़रे चुरा लूं
तो कैसा हो

तुम सोते बहुत हो
तुम्हारी उनींदी आँखों से
मैं कुछ नीदें चुरा लूं
तो कैसा हो

यूं तुम बेवजह 
रूठते बहुत हो
मै तुम्हारा रूठना चुरा लूं
तो कैसा हो

तुम प्यारे बहुत हो
तुम्हारा कुछ प्यार
मैं भी चुरा लूं
तो कैसा हो

तुम सोचते बहुत हो
तुम्हारे कुछ ख्याल
मैं भी चुरा लूं
तो कैसा ही

तुम बोलते बहुत हो
तुम्हारे बोले हुए
चंद अल्फाज़ मैं भी चुरा लूं
तो कैसा हो

१५/९/२०११
मधु अरोरा

Monday, September 12, 2011

तुम्हारी तस्वीर

जानती हूँ 
तस्वीरें कभी बोलती नहीं
फिर भी
जी चाहता है
इन्ही तस्वीरों से
कभी निकल आओ तुम
हँसते
बोलते
मुस्कुराते
गुनगुनाते हुए
बैठी हूँ
तुम्हारे इसी इंतज़ार में मैं
१२/०७/२०११ 

Saturday, September 10, 2011

मैं और तुम




मैंने कुछ कहा नहीं
मैंने कुछ लिखा नहीं
तूने कुछ पढ़ा नहीं
फिर भी सब समझ लिया
मेरा दर्द मेरी आँखों से
बिना पूछे ही बह गया
ये बह के मेरी आँखों से
तेरे आँचल में सिमट गया
फिर आज ऐसा क्या लिखूं
के फिर से तू समझ ले
मेरे दिल के दर्द को
अपने आँचल में पनाह दे

१०/०९/२०११