Monday, December 31, 2007

मई चाहती रहूंगी तुम्हें


ना आये गर सूरज तो क्या

दिन रूठ ता नही उस से
ना आये गर चाँद कभी

रात भूलती नही उसे
सूख जाये नदी अगर

पानी भूलता नही उसे

ना दिखो तुम भी अगर

दिल भूलता नही तुम्हें

न चाहो गर तुम मुझे

मई चाहती रहूंगी तुम्हें