कृपया अपने बहुमूल्य विचार अवश्य व्यक्त करें
Wednesday, July 3, 2013
एक कविता इंदोरियन के नाम
कल मैंने
आसमान की तरफ मुंह करके
ये कहा
ऐ खुदा तेरे रहते
तेरे बंदों को
पीने का पानी भी मयय्सर नहीं
और फिर
बादल इस तरह बरसे
कि सारा आसमान खाली हो गया
और सब घरों में
पानी भर गया
© मधु अरोरा
४/७/२०१३
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