तुम्हें देख कर
अक्सर सोचा मैंने
तुम्हें देखा है कहीं
ख्वाब में
ख्याल में
या हकीकत में कहीं
या पिछले जनम कहीं
तुम्हारा चेहरा
कुछ पहचाना सा लगा
शब्द ढूंढती रही
पढने को
तुम्हारी आँखों की
मौन भाषा
१०/१२/२००८
अक्सर सोचा मैंने
तुम्हें देखा है कहीं
ख्वाब में
ख्याल में
या हकीकत में कहीं
या पिछले जनम कहीं
तुम्हारा चेहरा
कुछ पहचाना सा लगा
शब्द ढूंढती रही
पढने को
तुम्हारी आँखों की
मौन भाषा
१०/१२/२००८
1 comment:
aapne suchh hii kahaa hai,,maun aur aankhain dono kii abhi vyaktii , ek doosre kii poorak hain,. maun bhii ek bhaashaa hai agar koi aankho se samjhe ,..
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