Friday, December 18, 2009

फासले



रिश्तों को दरम्यान
कुछ फासले हो गए हैं
कभी तुम दूर थे
आज हम हो गए हैं
जो कल तक कहते थे
जी ना सकेंगे
आज खुद हमसे
जुदा हो गए हैं
ना जीने की तमन्ना है
ना मरने का गम
आज हम कैसे
इन्सान हो गए हैं
०१/०४/२००९

1 comment:

tanmay said...

very nice...i like this poem a lot...gud one :)