मै फिर अवतरित हो जाऊँगी
एक नया रंग
नया रूप
नया जीवन लिए
जितनी बार भी तुम
मुझे, अपने अहम् की
धूल में रोंदोगे
तोड़ोगे और मिटाओगे
बीज बनकर
उगूंगी धरा से
वृक्ष बन के
बढ़ऊँगी और लहराऊँगी
छाया दूँगी
फल दूँगी
कर दूँगी सब
तुम्हें समर्पण
तुम्हारे लिए थी
तुम्हारे लिए हूँ
तुम्हारे लिए रहूंगी
ये सच तुम जान जाओगे
२६/६/२०१२
मधु अरोरा
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