Thursday, June 5, 2008

तू नही तो क्या हूँ मैं


तू नही
तो क्या हूँ मैं

एक ढलता सा दिन
एक अँधेरा हूँ मैं

एक ज़रा
एक कतरा हूँ मैं

थम गया सा
एक लम्हा हूँ में

एक शून्य
एक हाशिया हूँ में

अंत में लगा
एक प्रश्नचिन्ह हूँ मैं
१०/३/२००८

3 comments:

आशीष कुमार 'अंशु' said...

सुन्दर प्रस्तुति

Pramod Kumar Kush 'tanha' said...

थम गया सा
एक लम्हा हूँ में

kaash aisa ho paata. sunder bhaav hein...

Amit K Sagar said...

जितनी हैं खूबसूरत आपकी रचनाएं
उससे जादा दिए जा रहा हूँ शुभकामनायें.
मगर फिर भी येसा लग रहा है "सागर"
रोज़-रोज़ हैं उनके लिए लाखों दुआएं
खुश रहें, हंसती रहें ताउम्र उनकी फिजायें.
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आप बहुत ही अच्छा लिख रही हैं. लिखते रहिये. शुभकामनायें.
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उल्टा तीर