ना कोई खुशी है
ना आस बाकी
न कोई हमसफ़र है
न कोई साथी
उड़ने को बेचैन
घायल
एक परिंदा हूँ
ना आस बाकी
न कोई हमसफ़र है
न कोई साथी
उड़ने को बेचैन
घायल
एक परिंदा हूँ
बची है साँस
अभी जिंदा हूँ
बहुत कमजोर है
सांसों की डोर
कल ढूँढओगे
गर उड़ जाऊं
किसी ओर
न जाने कैसा
अजब बाशिंदा हूँ
बची है साँस
अभी जिंदा हूँ
३१/५/२००८
अभी जिंदा हूँ
बहुत कमजोर है
सांसों की डोर
कल ढूँढओगे
गर उड़ जाऊं
किसी ओर
न जाने कैसा
अजब बाशिंदा हूँ
बची है साँस
अभी जिंदा हूँ
३१/५/२००८
5 comments:
हिन्दी चिट्ठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है, आप हिन्दी में बढ़िया लिखें और खूब लिखें यही उम्मीद है।
॥दस्तक॥
तकनीकी दस्तक
गीतों की महफिल
परिंदा भले ही घायल हो पर सारा आसमान को उसी का है। हिन्दी ब्लोगल वार्मिंग में आपका स्वागत है।
बहुत कमजोर है
सांसों की डोर
कल ढूँढओगे
गर उड़ जाऊं
किसी ओर
न जाने कैसा
अजब बाशिंदा हूँ
बहुत खूब। लिखते रहिए।
Wow..I like your way ..keep it up
The way one think and reacts, is reflected in his/her writings. I love Hindi and even more the expressions, and I am just impressed with your language and expressions.. both! Keep it up.
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