Sunday, November 27, 2011

अक्सर भूल जाते हैं



तुम्हारी याद से दिन निकलता है
तुम्हारी याद पर ख़त्म होता है
दिन का हर एक लम्हा
तुम्हारी याद में रोता है

तुम्हें याद कर के
सोचते हैं हम दिन भर
तुम्हें आज ये कहना है
तुम्हें आज वो कहना है

मगर जब सामने आते हो
और आँखों से मुस्कुराते हो
तुम्हें क्या क्या कहना है
हम सब कुछ भूल जाते हैं

न खुद का होश होता है
न कोई ख्वाब सोता है
फिर भी कहते हो तुम अक्सर
तुम्हें हम याद नहीं करते

तुम्हें कैसे समझाएं जानम 
तुम्हारी यादों से हमे फुर्सत नहीं मिलती
मगर आती है ऐसी याद तुम्हारी
हम खुद को अक्सर भूल जाते हैं
२७/११/२०११ 
मधु अरोरा 

2 comments:

Rohan Vyas said...

AAPKI KALAM KI SYAHI MAI,
BHI KYA BAAT HAI,
HUM BHI YUN SAB KUCH BHUL GAYE!! :)


gR8 WRK MA'AM :)

Unknown said...

truly awesome mam...........