काश.......
ऐ काश कोई ऐसी ताबीर हो जाये
तुझे सोचूं और तुझे खबर हो जाये
जब भी खोलूं मैं आँखें मेरी
तू सामने नज़र आये
मैं मुस्कुराऊ
तो तू मेरे साथ खिलखिलाए
मैं गुनगुनाऊँ
तो तू मेरे साथ में गाये
मैं रोऊँ तो तेरे हाथ
मेरे आंसू पोंछें
नींद में जब भी बोझल हों आँखें
सोने को तेरा कांधा मिल जाये
कभी जो चाहे तू छोड़ के जाना
उस से पहले मुझे मौत आ जाये
© मधु अरोरा
७/१०/१४
No comments:
Post a Comment