Wednesday, October 8, 2008

क्यूँ है


यदि प्यार करते हैं सब


फ़िर सभी को प्यार की प्यास क्यूँ है


तुझसे मिलने की है एक तड़प


तो तुझसे बिछड़ के भी तड़प क्यूँ है


तुझे न मिल पाना एक मज़बूरी है


तो तुझे मिलना भी जरुरी क्यूँ है


तुझसे मिलने के हैं दिन कम


तो तुझसे बिछड़ने के दिन कम क्यूँ हैं


तुझसे मिलना एक खुशी है


तो मेरे हिस्से में ये उदासी क्यूँ है

2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बढिया!!

Unknown said...

बहुत खूब मधु !

आपने हमारे जीवन के खुबसूरत अहसास, पल और उलझनों को बड़ी सुन्दरता से अभिव्यक्त किया है !