कृपया अपने बहुमूल्य विचार अवश्य व्यक्त करें
Wednesday, October 8, 2008
चलो कहीं दूर
च
लो
कहीं दूर
ले चलो आज
जहाँ खोल सकें
दिल के सब राज़
ना रंज-ओ-गम की सियाही हो
ना हो माथे पर
कोई शिकन
ना हो दुनिया की फ़िक्र
ना पास हो कोई तनाव
चलो
कहीं
दूर ले चलो आज
1 comment:
परमजीत सिहँ बाली
said...
बहुत सुन्दर!!
October 10, 2008 at 5:09 AM
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1 comment:
बहुत सुन्दर!!
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