रिश्तों को दरम्यान कुछ फासले हो गए हैं कभी तुम दूर थे आज हम हो गए हैं जो कल तक कहते थे जी ना सकेंगे आज खुद हमसे जुदा हो गए हैं ना जीने की तमन्ना है ना मरने का गम आज हम कैसे इन्सान हो गए हैं ०१/०४/२००९
तुम्हें देख कर अक्सर सोचा मैंने तुम्हें देखा है कहीं ख्वाब में ख्याल में या हकीकत में कहीं या पिछले जनम कहीं तुम्हारा चेहरा कुछ पहचाना सा लगा शब्द ढूंढती रही पढने को तुम्हारी आँखों की मौन भाषा १०/१२/२००८